तीन हाथियों की मौत मामले में हाईकोर्ट में शपथ पत्र दाखिल करेंगे अफसर

ऊर्जा सचिव और एमडी सीएसपीडीसीएल को दिए निर्देश साढ़े सात मीटर ऊंचाई पर होने चाहिए तार
अमरदीप चौहान/अमरखबर:रायगढ़। रायगढ़ के चुहकीमार रोपणी में 25 अक्टूबर को 11 केवी बिजली तार के संपर्क में आकर तीन हाथियों की दर्दनाक मौत हो गई थी। यह मामला अब अदालत की चौखट पर पहुंच गया है। हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए दो उच्चाधिकारियों को पर्सनल एफिडेविट दाखिल करने का आदेश दिया है। इस मामले में वन विभाग ने दिखाने के लिए कार्रवाई की है जबकि बिजली विभाग में चुप्पी है। रायगढ़ और जशपुर जिला हाथी कॉरीडोर के लिए चिह्नित है क्योंकि यह हाथियों की आवाजाही के लिए प्रचलित रूट है। सालों से तमनार, घरघोड़ा, लैलूंगा और धरमजयगढ़ में हाथियों की सक्रियता है। शेड्यूल-वन पशु होने के कारण हाथी को ज्यादा संवेदनशील होकर डील करने की जरूरत है। वन विभाग और विद्युत विभाग ने तमनार के चुहकीमार नर्सरी के अंदर लापरवाही दिखाई जिसके कारण एक मादा, एक युवा और एक शावक हाथी की मौत हो गई। इस मामले में प्रकाशित समाचारों को आधार बनाकर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की बेंच ने सोमवार को मामले में सुनवाई की। उन्होंने आदेश दिया है कि इस घटना पर सचिव ऊर्जा विभाग और मैनेजिंग डायरेक्टर सीएसपीडीसीएल पर्सनल एफिडेविट दाखिल करेंगे। उनको यह बताना होगा कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या उपाय किए गए हैं। यह जानकारी भी देनी होगी कि इस घटना के जिम्मेदारों पर क्या कार्रवाई की गई है। वन विभाग भी इस मामले में लपेटे में आएगा। अगली सुनवाई 20 नवंबर को होने वाली है।
घरघोड़ा वन परिक्षेत्र के चुहकीमार स्थाई रोपणी में 11 केवी का तार महज तीन-चार मीटर नीचे से गुजरा था। जबकि अधिसूचना के मुताबिक ऐसे प्रतिबंधित क्षेत्रों में तार की जमीन से ऊंचाई 7.5 मीटर होनी चाहिए। अदालत ने इन तथ्यों को भी शामिल किया है। इसके साथ ही इन्सुलेटेड केबल का उपयोग किया जाना है, न कि खुले तारों का। सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के नोटिफिकेशन में तो ऐसे क्षेत्रों में अंडरग्राउंड लाइन बिछाने की अनुशंसा की गई है।
हाईकोर्ट ने रायगढ़ वनमंडल में तीन हाथियों की मौत के अलावा और भी कुछ घटनाओं को शामिल किया है। तखतपुर में खुले तार के कारण करंट से एक हाथी की मौत हुई थी। इसी तरह कांकेर में 10 अक्टूबर को खेतों में खुले बिजली तारों की वजह से तीन भालुओं की मौत हुई थी। कांकेर में ही तीन लोगों की जान भी चली गई थी। कोरबा में दो लोगों की और अंबिकापुर में एक व्यक्ति की मौत भी बिजली तारों के कारण हुई थी। रायगढ़ और धरमजयगढ़ वनमंडल में कई सालों से हाथियों और मानवों की मौत करंट से हो रही है।