“ग्राम गोडम में गूंजा धर्मरक्षा का संकल्प — अजय उपाध्याय महाराज और प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने जगाई सनातन एकता की लौ”

एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़/सारंगढ़।
सारंगढ़ जिले के ग्राम गोडम में शनिवार को आयोजित भव्य विराट हिंदू महासम्मेलन धर्म, संस्कृति और राष्ट्रभक्ति का अद्वितीय संगम साबित हुआ। जैसे ही मंच पर गुरुदेव अजय उपाध्याय महाराज और हिंदू हृदय सम्राट प्रबल प्रताप सिंह जूदेव पहुंचे, पूरा वातावरण “जय श्रीराम” और “हर-हर महादेव” के नारों से गूंज उठा। धर्मसभा स्थल पर हजारों श्रद्धालु, ग्रामीण और कार्यकर्ता एकत्रित थे, जिन्होंने एक स्वर में सनातन एकता और धर्मरक्षा का संकल्प लिया।

✦ अजय उपाध्याय महाराज बोले — “अब सहनशीलता नहीं, संगठन ही धर्म की शक्ति”
अपने ओजस्वी और प्रेरक उद्बोधन में गुरुदेव अजय उपाध्याय महाराज ने कहा कि आज देशभर में सनातन धर्म को कमजोर करने के षड्यंत्र रचे जा रहे हैं। धर्मांतरण, सांस्कृतिक आक्रमण और वैचारिक भ्रम फैलाकर हिंदू समाज की जड़ों को हिलाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा —
> “अब समय आ गया है कि हर सनातनी अपने धर्म, संस्कृति और परंपरा की रक्षा के लिए खड़ा हो। केवल सहनशीलता अब पर्याप्त नहीं, संगठन ही हमारी सबसे बड़ी शक्ति है।”
महाराज ने कहा कि हिंदू समाज को अपनी पहचान, गौरव और संस्कृति के प्रति जागरूक रहना होगा। यदि हम संगठित हुए तो कोई भी शक्ति सनातन को झुका नहीं सकती।

✦ जूदेव बोले — “सनातन धर्म जीवन का विज्ञान है, केवल पूजा-पाठ नहीं”
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हिंदू हृदय सम्राट प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने अपने जोशीले संबोधन में कहा कि आज आवश्यकता इस बात की है कि हिंदू समाज अपने आत्मगौरव को पुनः पहचाने। उन्होंने कहा —
> “जो ताकतें हिंदू समाज को बांटने की कोशिश कर रही हैं, उन्हें करारा जवाब देना होगा। सनातन धर्म केवल पूजा-पाठ का प्रतीक नहीं, बल्कि यह जीवन जीने की सर्वोच्च और वैज्ञानिक पद्धति है।”
उन्होंने उपस्थित जनसमूह से आह्वान किया कि प्रत्येक व्यक्ति अपने-अपने क्षेत्र में धर्मजागरण का कार्य करे, ताकि आने वाली पीढ़ियां अपनी संस्कृति पर गर्व कर सकें।

✦ बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थिति
इस अवसर पर अंजू गबेल, हिंदू धर्म सेना के पदाधिकारी, स्थानीय जनप्रतिनिधि और हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। ग्रामीणों ने पारंपरिक परिधानों में स्वागत किया और पूरा परिसर भगवा झंडों से सुसज्जित था।
✦ सम्मेलन बना सनातन एकता का प्रतीक
पूरे कार्यक्रम में एकता, धर्मरक्षा और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की भावना स्पष्ट रूप से झलक रही थी। अंत में सभी श्रद्धालुओं ने “सनातन धर्म की जय” और “भारत माता की जय” के उद्घोष के साथ एक स्वर में संकल्प लिया कि वे धर्मविरोधी शक्तियों के खिलाफ संगठित रहेंगे और सनातन संस्कृति की रक्षा करेंगे।
समाचार सहयोगी हिंद फाइटर श्याम रेंशी गुप्ता की रिपोर्ट
