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गेरवानी-चिराईपानी मार्ग: जर्जर सड़कें, भारी वाहनों का कहर और प्रशासन की चुप्पी

एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़, 10 अक्टूबर 2025: रायगढ़ जिले के ग्रामीण अंचल में सड़कों की बदहाली और उद्योगों के भारी वाहनों के बेलगाम दौड़ ने ग्रामीणों का जीना मुहाल कर दिया है। गेरवानी से चिराईपाली और चिराईपानी होते हुए देलारी गांव तक जाने वाला मार्ग अब सड़क कम और मौत का रास्ता ज्यादा बन चुका है। यह सड़क, जो मूल रूप से हल्के वाहनों और ग्रामीणों के आवागमन के लिए बनाई गई थी, अब ट्रकों और डंपरों की अनियंत्रित आवाजाही के कारण पूरी तरह जर्जर हो चुकी है। गड्ढों, धूल और कीचड़ से भरी यह सड़क न केवल दुर्घटनाओं को न्योता दे रही है, बल्कि ग्रामीणों के स्वास्थ्य और जीवन को भी खतरे में डाल रही है। प्रशासन की उदासीनता और कार्रवाई की कमी ने ग्रामीणों के सब्र का बांध तोड़ दिया है, जिसके चलते वे उग्र आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं।

सड़क की बदहाली: दुर्घटना और बीमारी का सबब
गेरवानी-चिराईपानी मार्ग की स्थिति इतनी दयनीय हो चुकी है कि इस पर चलना अब जान जोखिम में डालने जैसा है। ग्रामीणों का कहना है कि सड़क पर गहरे गड्ढे, उड़ती धूल और बारिश के बाद कीचड़ ने इसे पैदल चलने और दोपहिया वाहनों के लिए खतरनाक बना दिया है। स्कूल जाने वाले बच्चे, बुजुर्ग और दोपहिया वाहन चालक रोजाना दुर्घटना के जोखिम का सामना कर रहे हैं। सड़क से उड़ने वाली धूल ने स्थिति को और गंभीर कर दिया है। स्थानीय निवासियों के अनुसार, धूल के कारण बच्चों और बुजुर्गों में खांसी, सांस की तकलीफ और आंखों में जलन की शिकायतें आम हो गई हैं।

स्थानीय निवासीयों ने गुस्से में कहा, “यह सड़क हमारे गांव वालों के लिए बनी थी, लेकिन अब तो यह कंपनियों के ट्रकों का हाईवे बन चुका है। हमारी शिकायतों को कोई सुनता ही नहीं।” एक अन्य ग्रामीण ने बताया कि उनके बच्चे स्कूल जाने में डरते हैं, क्योंकि सड़क की हालत और भारी वाहनों की तेज रफ्तार हर पल हादसे को दावत दे रही है।

भारी वाहनों का कहर: नियमों की अनदेखी
यह मार्ग मूल रूप से हल्के वाहनों, जैसे मोटरसाइकिल, साइकिल और छोटे वाहनों के लिए बनाया गया था। लेकिन अब इस पर दिन-रात भारी ट्रक और डंपर दौड़ रहे हैं, जो आसपास की औद्योगिक इकाइयों से संबंधित हैं। ये वाहन न केवल सड़क को नष्ट कर रहे हैं, बल्कि ग्रामीणों के लिए खतरा भी बन रहे हैं। ग्रामीणों का सवाल है कि जब यह सड़क भारी वाहनों के लिए डिज़ाइन ही नहीं की गई, तो आखिर किसके इशारे पर इन वाहनों को यहां चलने की अनुमति दी जा रही है?

स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मुद्दे पर सवाल उठाते हुए कहा, “यह साफ है कि उद्योगों की मिलीभगत और प्रशासन की चुप्पी के कारण यह स्थिति बनी है। सड़क पर भारी वाहनों की आवाजाही पर कोई नियंत्रण नहीं है। न तो ट्रैफिक पुलिस सक्रिय है, न ही परिवहन विभाग।” ग्रामीणों का आरोप है कि औद्योगिक इकाइयों के दबाव में प्रशासन इस मामले में आंखें मूंदे हुए है।

प्रशासन की चुप्पी: शिकायतों का कोई जवाब नहीं
ग्रामीणों ने इस समस्या को लेकर कई बार पुलिस, ट्रैफिक विभाग और परिवहन विभाग में शिकायतें दर्ज की हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। एक स्थानीय निवासी ने बताया, “हमने कई बार लिखित और मौखिक शिकायतें कीं, लेकिन न तो सड़क की मरम्मत हुई, न ही भारी वाहनों पर रोक लगी। प्रशासन की यह उदासीनता अब हमारे सब्र की परीक्षा ले रही है।” ग्रामीणों का कहना है कि यदि जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो वे सड़क पर उतरकर चक्का जाम करने को मजबूर होंगे।

ग्रामीणों का आक्रोश: उग्र आंदोलन की चेतावनी
सड़क की जर्जर हालत और प्रशासन की निष्क्रियता से तंग आ चुके ग्रामीणों ने अब उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। स्थानीय पंचायत प्रतिनिधि ने कहा, “हमने शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखी, लेकिन अब हमारा धैर्य जवाब दे रहा है। अगर भारी वाहनों पर रोक नहीं लगी और सड़क की मरम्मत नहीं हुई, तो हम सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे।” ग्रामीणों ने यह भी मांग की है कि सड़क की मरम्मत और भारी वाहनों की आवाजाही पर तत्काल रोक लगाई जाए।

सड़क की मरम्मत और सुरक्षा के लिए जरूरी कदम
इस समस्या के समाधान के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाने की आवश्यकता है:
1. भारी वाहनों पर प्रतिबंध: गेरवानी-चिराईपानी मार्ग पर भारी वाहनों की आवाजाही पर तत्काल रोक लगाई जाए, क्योंकि यह सड़क इसके लिए उपयुक्त नहीं है।
2. सड़क की मरम्मत: सड़क की तत्काल मरम्मत और पुनर्निर्माण के लिए बजट आवंटित किया जाए।
3. नियमित निगरानी: ट्रैफिक पुलिस और परिवहन विभाग द्वारा सड़क पर नियमित निगरानी की जाए, ताकि नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहनों पर कार्रवाई हो।
4. उद्योगों की जवाबदेही: जिन औद्योगिक इकाइयों के वाहन इस मार्ग का उपयोग कर रहे हैं, उनकी जवाबदेही तय की जाए और सड़क की मरम्मत में उनकी भागीदारी सुनिश्चित की जाए।
5. स्वास्थ्य सुविधाएं: धूल के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के लिए स्थानीय स्तर पर मेडिकल कैंप आयोजित किए जाएं।

प्रशासन को जागना होगा
गेरवानी-चिराईपानी मार्ग की बदहाली और भारी वाहनों की अनियंत्रित आवाजाही ने ग्रामीणों के जीवन को खतरे में डाल दिया है। यह स्थिति न केवल सड़क सुरक्षा, बल्कि ग्रामीणों के स्वास्थ्य और जीवन के लिए भी गंभीर खतरा बन चुकी है। प्रशासन की चुप्पी और उदासीनता ने ग्रामीणों के आक्रोश को और बढ़ा दिया है। यदि समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो ग्रामीणों का उग्र आंदोलन अपरिहार्य हो सकता है। यह समय है कि प्रशासन और औद्योगिक इकाइयां अपनी जिम्मेदारी समझें और ग्रामीणों के हित में ठोस कदम उठाएं। सवाल यह नहीं कि सड़क कब सुधरेगी, सवाल यह है कि आखिर कितने हादसों और कितनी शिकायतों के बाद प्रशासन जागेगा?

समाचार सहयोगी योगेश मालाकार की रिपोर्ट

Amar Chouhan

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