कलेक्टर साहब आखिर कहां गई बजरमुड़ा जमीन घोटाले की जांच रिपोर्ट, अब तक किसी पर क्यों नहीं हुई कोई कार्यवाई ⁉️
रायगढ़। छग स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी लिमिटेड को आवंटित कोल ब्लॉक गारे पेलमा सेक्टर-3 कोल ब्लॉक में मुआवजा घोटाले के प्रत्यक्ष प्रमाण आज भी धरातल पर मौजूद हैं। ये सरकार ही है उसे इतना बड़ा स्कैम देखने-समझने में दो साल लग गए। उसमें भी जांच रिपोर्ट आई तो सही लेकिन कहीं गुम हो गई। कयास लगाए जा रहे हैं कि रिपोर्ट में अफसरों को बचाने के लिए आरआई-पटवारी को बलि का बकरा बनाया गया है।
सीएसपीडीसीएल को आवंटित गारे सेक्टर-3 कोल ब्लॉक में कुल रकबा 401.342 हे. का सरफेस राइट के तहत भूअर्जन किया गया। ढोलनारा, बजरमुड़ा, करवाही, खम्हरिया और मिलूपारा गांव समेत 14 गांवों की जमीन ली जा रही है। बजरमुड़ा गांव पूरी तरह से विस्थापित होना है। जितना लाभ मूल निवासियों को मिलना था, उससे अधिक तो बाहरियों ने लूट लिया। परिसंपत्तियों के आकलन में भारी गड़बड़ी साबित हो चुकी है। खेत के बीच में बिना बिजली और पानी के खाली पड़े शेड को पोल्ट्री फार्म बता दिया गया।
तत्कालीन एसडीएम, तहसीलदार, नायाब सभी ने अपने सामने गड़बड़ी को होने दिया। टुकड़ों में रजिस्ट्रियां हुईं जिसमें ज्यादातर खरीददार गांव से बाहर के थे। तमनार में पदस्थ तत्कालीन तहसीलदार और नायब तहसीलदार की भूमिका भी संदेहास्पद है क्योंकि उन्होंने एक-एक दिन में कई प्रमाणीकरण और नामांतरण किए।
इसकी शिकायत रायगढ़ निवासी दुर्गेश शर्मा ने लिखित में की तब कहीं जाकर सरकार हरकत में आई। आनन-फानन जांच टीम बनाकर भेजा गया।
जांच टीम भी तब आई जब प्रदेश में सरकार पलट गई। बताया जा रहा है कि जांच रिपोर्ट कलेक्टर को भेज दी गई है। लेकिन रिपोर्ट गुमशुदा हो गई है। कोई भी अधिकारी इस बारे में मुंह खोलने से बच रहा है। जिसको पूछें, वो दूसरे अफसर का नाम ले रहा है।
काली कमाई की कहानी
जांच टीम ने तीन बार आकर मौके की जांच की है। रिक्त कृषि जमीनों का खसरा नंबर और रकबे के हिसाब से मुआवजे की गणना तो तय दर पर हुई। लेकिन परिसंपत्तियों को बढ़ाकर दिखाया गया।
घरघोड़ा एसडीएम कार्यालय के बाबू समेत तमनार तहसील कार्यालय के अधिकारी-कर्मचारी भी लपेटे में है। कहा जा रहा है कि आरआई और पटवारी को घोटाले का मास्टरमाइंड बताकर अफसरों को अभयदान देने की तैयारी है।
आरआई-पटवारी की मांगी जानकारी
जांच रिपोर्ट में की गई अनुशंसा के मुताबिक तत्कालीन पदस्थ आरआई और पटवारियों की जानकारी मांगी गई है। यह मामला केवल परिसंपत्तियों के दोषपूर्ण आकलन का नहीं है, आय से अधिक संपत्ति का भी है। स्थानीय राजस्व विभाग के कई बाबूओं ने नामांतरण व चैक वितरण के एवज में हुई कमाई से अकूल संपत्ति खड़ी कर ली है।