करंट की चपेट में गई ज़िंदगी, सुरक्षा के बिना कराया गया काम — चिराईपानी औद्योगिक हादसे में नौ माह बाद दर्ज हुई FIR

फ्रीलांस एडिटर अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़।
औद्योगिक विकास के दावों के बीच श्रमिक सुरक्षा की अनदेखी एक बार फिर एक युवा की जान ले बैठी। रायगढ़ जिले के पूंजीपथरा थाना क्षेत्र अंतर्गत स्थित सुनील इस्पात एंड पावर लिमिटेड, चिराईपानी में हुए करंट हादसे ने न सिर्फ एक परिवार का सहारा छीन लिया, बल्कि औद्योगिक इकाइयों में श्रम सुरक्षा व्यवस्था की हकीकत भी उजागर कर दी है।
घटना 5 मार्च 2025 की है, जब प्लांट में कार्यरत 23 वर्षीय श्रमिक प्रदीप भगत को बिना आवश्यक सुरक्षा उपकरणों के विद्युत संबंधी कार्य में लगाया गया। काम के दौरान प्लांट की दीवार से सटे विद्युत प्रवाहित तार की चपेट में आने से वह गंभीर रूप से झुलस गया। हादसे में प्रदीप करीब 60 से 65 प्रतिशत तक झुलस गया था।
घायल अवस्था में उसे तत्काल रायपुर के बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी सेंटर में भर्ती कराया गया, जहां उसने करीब एक महीने तक जीवन और मौत के बीच संघर्ष किया। अंततः 8 अप्रैल 2025 को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
मामले की मर्ग जांच और गवाहों के बयान के बाद यह तथ्य सामने आया कि युवक से इंसुलेटेड ग्लव्स, सेफ्टी शूज़ और अन्य आवश्यक विद्युत सुरक्षा संसाधनों के बिना काम कराया जा रहा था। औद्योगिक सुरक्षा मानकों की यह खुली अवहेलना हादसे का प्रमुख कारण मानी गई है।
करीब 9 माह 13 दिन (287 दिन) तक चली जांच प्रक्रिया के बाद अब जाकर पुलिस ने मामले में आपराधिक प्रकरण दर्ज किया है। पूंजीपथरा पुलिस ने प्लांट इंचार्ज फनेन्द्र वर्मा के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 106(1) और 289 के तहत FIR दर्ज कर विवेचना प्रारंभ कर दी है।
यह घटना सिर्फ एक औद्योगिक दुर्घटना नहीं, बल्कि उस लापरवाही का परिणाम है, जहां उत्पादन और मुनाफे की होड़ में श्रमिकों की जान को दांव पर लगा दिया जाता है। सवाल यह भी है कि यदि समय रहते सुरक्षा मानकों का पालन किया जाता, तो क्या एक युवा की जान बचाई जा सकती थी?
अब जबकि मामला दर्ज हो चुका है, निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि जांच निष्पक्ष रूप से आगे बढ़े और दोषियों को कानून के दायरे में लाकर यह संदेश दिया जाए कि श्रमिक सुरक्षा से खिलवाड़ किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
समाचार सहयोगी विष्णु निरंजन गुप्ता