उद्योगों से निकल रहे फ्लाई एश की अवैध डम्पिंग और ग्रीन बेल्ट विकसित नहीं करने को लेकर चल रही जांच
अमरदीप चौहान/अमरखबर:रायगढ़। पर्यावरण मित्र संस्था की शिकायत पर एनजीटी ने रायगढ़ जिले की विस्तृत जांच के आदेश दिए थे। ज्वाइंट कमेटी ने फसलों पर पड़ रहे दुष्प्रभावों का आकलन करने के लिए कृषि विभाग से जानकारी मांगी है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने उप संचालक कृषि को पत्र लिखा था। रायगढ़ जिले में प्रदूषण का स्तर ठंड के महीनों में अचानक से बढ़ जाता है। उद्योगों की चिमनियों से निकल रहा काला धुआं और डस्ट धरती की सतह से ज्यादा ऊपर नहीं उड़ता। बेहद जल्दी नीचे बैठता है। इसलिए घरों में काली डस्ट की परत बिछ रही है। उद्योगों के फ्लाई एश की अवैध डंपिंग इसकी एक वजह है। पर्यावरण मित्र संस्था के बजरंग अग्रवाल ने राष्ट्रीय हरित अभिकरण में आवेदन प्रस्तुत किया था जिसमें रायगढ़ के लोगों को होने वाली परेशानी का भी जिक्र किया गया था।
उन्होंने प्रदूषण फैलाने, गलत ईआईए रिपोर्ट पेश कर जनसुनवाई कराने, 33 प्रतिशत क्षेत्र में ग्रीन बेल्ट विकसित न करने और कृषि भूमि व जंगल के बीच फ्लाई एश की अवैध डंपिंग करने विषय उठाया है। एनजीटी ने पर्यावरण मंत्रालय छग, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, छग पर्यावरण संरक्षण मंडल और जिला प्रशासन के प्रतिनिधियों की टीम का गठन कर शिकायत के बिंदुओं पर तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है। सीपीसीबी ने 18 अक्टूबर 2024 को उप संचालक कृषि रायगढ़ को पत्र लिखकर इस केस के संदर्भ में अहम जानकारी मांगी है। कृषि भूमि में फ्लाई एश की अवैध डंपिंग और इसके दुष्परिणामों के कारण उत्पादन पर विरीत प्रभाव पडऩे की कोई जानकारी देने को कहा गया है। ताकि इसे रिपोर्ट में शामिल किया जाए।
18 अक्टूबर का पत्र, बीस दिन बाद जागा विभाग
फ्लाई एश के दुष्प्रभावों को लेकर कृषि विभाग गंभीर नहीं है। ऐसा कोई सर्वे या वैज्ञानिक पद्धति से जांच की ही नहीं जाती। मिट्टी की उर्वरता मापने के लिए अम्लीय या क्षारीय होने की जानकारी तैयार की जाती है। सीपीसीबी ने 18 अक्टूबर को डीडीए को पत्र लिखा। डीडीए ने 7 नवंबर को अपने मातहतों को इसकी जानकारी देने को कहा। एक ही दिन में इसकी जानकारी प्रारूप में भरकर प्रस्तुत करने को कहा गया है।