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आमगाँव-तमनार में जिंदल और प्रशासन के खिलाफ जन आक्रोश, अनिश्चितकालीन आर्थिक नाकेबंदी शुरू

सम्पादक जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़ (छत्तीसगढ़), 19 जून 2025 — आमगाँव और तमनार क्षेत्र के ग्रामीणों ने जिंदल कंपनी और स्थानीय प्रशासन की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ मंगलवार को सीएचपी (कोल हैंडलिंग प्लांट) चौक पर अनिश्चितकालीन आर्थिक नाकेबंदी शुरू कर दी। अपनी 14 सूत्रीय मांगों को लेकर सड़कों पर उतरे ग्रामीणों ने जिंदल और प्रशासन के गैर-जिम्मेदार रवैये के खिलाफ शांतिपूर्ण, लेकिन तीव्र प्रदर्शन शुरू किया है। यह आंदोलन क्षेत्र की मूलभूत समस्याओं, संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन, और पर्यावरणीय व सामाजिक अन्याय के खिलाफ एकजुटता का प्रतीक बन गया है।

### जिंदल और प्रशासन की संवेदनहीनता पर उबाल
ग्रामीणों का आरोप है कि जिंदल कंपनी और स्थानीय प्रशासन ने उनकी समस्याओं को लगातार अनदेखा किया है। औद्योगिक दुर्घटनाओं में मृत कर्मचारियों के परिवारों को न तो उचित मुआवजा दिया गया, न ही रोजगार, और न ही उनके बच्चों को ओ.पी. जिंदल स्कूल में मुफ्त शिक्षा की सुविधा प्रदान की गई। ग्रामीणों ने जिंदल फोर्टिस हॉस्पिटल में निशुल्क इलाज की मांग भी उठाई है, लेकिन कंपनी की ओर से इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

### संवैधानिक अधिकारों की अवहेलना
तमनार क्षेत्र, भारत के संविधान की पाँचवीं अनुसूची के अंतर्गत आता है, जहाँ ग्रामसभा की अनुमति के बिना कोई परियोजना लागू करना अवैध है। फिर भी, जिंदल कंपनी ने नागरामुड़ा और मुड़ागाँव में बिना अनुमति वनों की कटाई शुरू कर दी। ग्रामीणों ने इस असंवैधानिक कृत्य को तत्काल रोकने और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। साथ ही, कोयला खनन की लीज नवीनीकरण में ग्रामसभा की सहमति को अनदेखा करने का आरोप लगाते हुए, ग्रामीणों ने केंद्र सरकार और जिंदल के खिलाफ लीज निरस्त करने की मांग उठाई है।

### पर्यावरण और स्वास्थ्य पर हमला
जिंदल के कोल माइंस और पावर प्लांट से होने वाला प्रदूषण क्षेत्रवासियों के लिए अभिशाप बन गया है। कनाई एश और कोयला डस्ट के कारण पर्यावरण और लोगों का स्वास्थ्य खतरे में है। एनजीटी के आदेशों की खुलेआम अवहेलना हो रही है, जिसमें माइंस और बेल्ट की गाँवों से न्यूनतम दूरी सुनिश्चित करने का नियम शामिल है। ग्रामीणों ने दोषी अधिकारियों और कंपनी पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।

### रोजगार और मुआवजे में भेदभाव
जिंदल द्वारा भूमि अधिग्रहण के बाद प्रभावित किसानों को न तो रोजगार दिया गया, न ही उचित मुआवजा। स्थानीय युवाओं को जिंदल पावर प्लांट और कोल माइंस में स्थायी रोजगार देने की मांग भी अनसुनी रही, जबकि बाहरी लोगों को प्राथमिकता दी जा रही है। ग्रामीणों ने बेरोजगारी भत्ता और डेवलपमेंट कार्यवाही की मांग की है।

### ओवरलोडिंग और ब्लास्टिंग से तबाही
सीएचपी चौक से ओडिशा बॉर्डर तक ओवरलोड वाहनों की अनियंत्रित रफ्तार और ब्लास्टिंग से ग्रामीणों के घरों और खेतों को भारी नुकसान हो रहा है। जिंदल और प्रशासन की मिलीभगत से नियमों का उल्लंघन हो रहा है। ग्रामीणों ने फोर लेन सड़क चौड़ीकरण, वाहनों की नियमित जाँच, और ब्लास्टिंग से हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति की मांग की है।

### प्रशासन की निष्क्रियता
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत स्वीकृत परिवारों को घरघोड़ा के अनुविभागीय अधिकारी द्वारा निर्माण की अनुमति रोक दी गई है, जिसे ग्रामीण प्रशासन की मनमानी बता रहे हैं। इसके अलावा, सेक्टर-1 कोल ब्लॉक क्षेत्र में 20 साल से भूमि खरीद-फरोख्त पर लगी रोक ने ग्रामीणों को आपात स्थिति में भी अपनी जमीन बेचने से वंचित कर दिया है।

### ग्रामीणों का संदेश: अब और नहीं
यह आंदोलन जिंदल कंपनी और प्रशासन के खिलाफ ग्रामीणों के संचित गुस्से का परिणाम है। उनकी मांगें केवल रोजगार, शिक्षा, और स्वास्थ्य तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह संवैधानिक अधिकारों, पर्यावरण संरक्षण, और सामाजिक न्याय की लड़ाई है। अनिश्चितकालीन आर्थिक नाकेबंदी से औद्योगिक गतिविधियाँ ठप हो रही हैं, और यदि जिंदल और प्रशासन ने तत्काल संवाद शुरू नहीं किया, तो यह आंदोलन और उग्र हो सकता है।

ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि जब तक उनकी सभी 14 मांगें पूरी नहीं होतीं, वे पीछे नहीं हटेंगे। यह आंदोलन न केवल तमनार और आमगाँव की जनता की आवाज है, बल्कि उन सभी के लिए एक मिसाल है जो कॉरपोरेट और प्रशासनिक दमन के खिलाफ लड़ रहे हैं।

Amar Chouhan

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