आपत्तिजनक भाषा का मामला: सोशल मीडिया पोस्ट से उठा विवाद, इंफ्लुएंसर आकांक्षा टोप्पो पर कार्रवाई

फ्रीलांस एडिटर अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम सरगुजा।
सरगुजा अंचल में सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के बीच अभिव्यक्ति की मर्यादा को लेकर एक बार फिर बहस तेज हो गई है। इसी क्रम में सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर आकांक्षा टोप्पो के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा के प्रयोग को लेकर पुलिस कार्रवाई सामने आई है। मंत्री और विधायक के खिलाफ की गई टिप्पणी को लेकर दर्ज शिकायत के बाद सीतापुर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया, हालांकि कानूनी प्रक्रिया के बाद उन्हें मुचलके पर रिहा कर दिया गया।
मामला 23 दिसंबर का बताया जा रहा है। सीतापुर थाना क्षेत्र के बटईकेला गांव में एक जमीन से कब्जा हटाकर आंगनबाड़ी भवन निर्माण से जुड़े घटनाक्रम को लेकर आकांक्षा टोप्पो ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर वीडियो पोस्ट किया था। उन पर आरोप है कि इस वीडियो में महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े और सीतापुर विधायक रामकुमार टोप्पो के खिलाफ अमर्यादित और असभ्य भाषा का प्रयोग किया गया। वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल होते ही राजनीतिक हलकों में प्रतिक्रिया शुरू हो गई।
इसके बाद आवेदक भाजपा जिला मंत्री और सीतापुर भाजपा महिला मोर्चा अध्यक्ष ने सीतापुर थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में कहा गया कि सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए जन प्रतिनिधियों की गरिमा को ठेस पहुंचाई गई है और सार्वजनिक जीवन में असभ्य भाषा का प्रयोग समाज में गलत संदेश देता है। शिकायत के आधार पर पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 353(2) के तहत अपराध पंजीबद्ध किया।
पुलिस ने शुक्रवार को आकांक्षा टोप्पो को गिरफ्तार कर थाने लाया, जहां आवश्यक कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद उन्हें मुचलके पर रिहा कर दिया गया। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मामला सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणी से जुड़ा है और इसकी जांच कानून के दायरे में की जा रही है।
शिकायतकर्ताओं का यह भी आरोप है कि यह पहली बार नहीं है जब आकांक्षा टोप्पो के खिलाफ इस तरह की शिकायत दर्ज हुई हो। इससे पहले भी जनप्रतिनिधियों और अन्य व्यक्तियों के खिलाफ कथित अभद्र भाषा के मामलों में रिपोर्ट दर्ज कराई जा चुकी है। वहीं, स्थानीय सूत्रों के अनुसार इस कार्रवाई के बाद सोशल मीडिया पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं—जहां एक वर्ग कार्रवाई को जरूरी बता रहा है, वहीं दूसरा वर्ग अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्ष में इंफ्लुएंसर का समर्थन करता नजर आ रहा है।
कुल मिलाकर यह घटनाक्रम एक बार फिर यह सवाल खड़ा करता है कि सोशल मीडिया पर तीखी आलोचना और आपत्तिजनक भाषा के बीच की रेखा कहां खिंचती है। कानून, राजनीति और डिजिटल अभिव्यक्ति के इस टकराव ने सरगुजा में एक नई बहस को जन्म दे दिया है, जिसकी गूंज फिलहाल सोशल मीडिया से लेकर सियासी गलियारों तक सुनाई दे रही है।