आईजी आर.एल. डांगी पर यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप — एसआई की पत्नी की शिकायत पर विभागीय जांच शुरू,

मुख्यमंत्री बोले: “जांच में सच सामने आएगा तो होगी कार्रवाई”
एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम (जीपीएम)।
छत्तीसगढ़ पुलिस के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी और वर्तमान में आईजी पद पर तैनात रतनलाल डांगी एक बड़े विवाद में फंस गए हैं। एक सब-इंस्पेक्टर की पत्नी ने उन पर पिछले सात वर्षों से मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए हैं। महिला ने अपने आरोपों के समर्थन में कई डिजिटल साक्ष्य भी प्रस्तुत किए हैं, जिसके बाद पुलिस विभाग ने जांच की औपचारिक प्रक्रिया शुरू कर दी है।
🔹 पीड़िता का आरोप: “सोशल मीडिया से शुरू हुआ संबंध, फिर बढ़ने लगा दबाव”
पीड़िता ने अपनी शिकायत में बताया कि साल 2017 में उनकी रतनलाल डांगी से मुलाकात हुई थी, जब वे कोरबा एसपी के पद पर तैनात थे। प्रारंभिक परिचय सोशल मीडिया पर हुआ और बाद में वीडियो कॉल के ज़रिए योगा सत्रों के बहाने बातचीत बढ़ती चली गई।
डांगी के दंतेवाड़ा और राजनांदगांव में तबादलों के दौरान भी दोनों के बीच संपर्क बना रहा।
महिला ने आरोप लगाया कि जब डांगी सरगुजा आईजी बने, तभी से उन्होंने उसे मानसिक रूप से परेशान करना शुरू किया, और बिलासपुर आईजी बनने के बाद यह उत्पीड़न “निरंतर बढ़ गया”।
पीड़िता ने अपनी शिकायत में यह भी कहा है कि डांगी अपनी पत्नी की गैरमौजूदगी में उसे बंगले पर बुलाते थे और मिलने का दबाव डालते थे।
🔹 उच्चाधिकारियों तक पहुँची शिकायत, विभाग ने जांच की प्रक्रिया शुरू की
पीड़िता द्वारा प्रस्तुत किए गए डिजिटल सबूतों और शिकायत को वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने गंभीरता से लिया है।
विभाग ने मामले की प्राथमिक जांच शुरू कर दी है और इस दिशा में दो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों —
डॉ. आनंद छाबड़ा (2001 बैच) और आईपीएस मिलना कुर्रे — को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार, जांच रिपोर्ट मिलने के बाद अगली कार्रवाई तय की जाएगी।
🔹 मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का बयान: “किसी को भी कानून से ऊपर नहीं माना जाएगा”
मरवाही दौरे पर पहुंचे मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा —
> “चाहे कोई भी अधिकारी हो, अगर आरोप लगे हैं तो जांच जरूर होगी।
और यदि जांच में आरोप सही पाए जाते हैं, तो निश्चित ही कार्रवाई की जाएगी।”
मुख्यमंत्री के इस बयान को यह संकेत माना जा रहा है कि सरकार इस प्रकरण को दबाने के बजाय पारदर्शिता के साथ जांच चाहती है।
🔹 आईपीएस रतनलाल डांगी की सफाई: “ब्लैकमेलिंग और मानसिक प्रताड़ना का प्रयास”
इस बीच, आईपीएस रतनलाल डांगी ने खुद पर लगे आरोपों को सिरे से खारिज किया है।
उन्होंने डीजीपी अरुण देव गौतम को एक विस्तृत 14 बिंदुओं वाली चिट्ठी लिखी है, जिसमें उन्होंने शिकायतकर्ता महिला और “उसके साथ जुड़े कुछ अज्ञात लोगों” पर ब्लैकमेलिंग, मानसिक प्रताड़ना और आपराधिक धमकी देने के गंभीर आरोप लगाए हैं।
डांगी ने कहा कि उन्होंने यह पत्र महिला की शिकायत से पहले ही डीजीपी को भेजा था, ताकि “सच्चाई सामने आए और झूठ का पर्दाफाश हो।”
🔹 पुलिस विभाग और प्रशासन की नजर
यह मामला न केवल पुलिस विभाग बल्कि राज्य प्रशासन और मीडिया जगत में भी चर्चा का विषय बना हुआ है।
आईजी स्तर के अधिकारी पर इस तरह के गंभीर आरोप पहले भी सामने आ चुके हैं, लेकिन इस बार मामला डिजिटल साक्ष्यों और विस्तृत शिकायत पत्रों के साथ दर्ज हुआ है, जिससे जांच एजेंसियों पर तेजी से और निष्पक्ष जांच करने का दबाव है।
अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आईपीएस छाबड़ा और कुर्रे की जांच रिपोर्ट क्या कहती है।
यदि आरोप सही साबित होते हैं, तो यह मामला छत्तीसगढ़ पुलिस के इतिहास में एक और बड़ी कार्रवाई का कारण बन सकता है।
वहीं, यदि डांगी के आरोप सही साबित हुए, तो ब्लैकमेलिंग और साजिश का बड़ा मामला उजागर हो सकता है।
साफ है कि यह मामला आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ पुलिस और प्रशासनिक जगत दोनों के लिए परीक्षा की घड़ी साबित होगा।