अग्रोहा स्टील हादसा: मजदूर की मौत, प्रबंधन को क्लीन चिट, सुपरवाइजर पर FIR

एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़, 10 अक्टूबर 2025: रायगढ़ जिले के पुंजीपथरा क्षेत्र में स्थित अग्रोहा स्टील एण्ड पावर लिमिटेड में हुए एक दर्दनाक हादसे ने एक बार फिर औद्योगिक इकाइयों में श्रमिकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। 24 सितंबर 2025 को 19 वर्षीय मजदूर उमेश चौहान की हीट एक्सचेंजर में गर्म राख की चपेट में आने से हुई मौत के मामले में पुलिस ने फैक्ट्री प्रबंधन को क्लीन चिट दे दी है, जबकि जनरल सुपरवाइजर शीतल कुमार साव के खिलाफ लापरवाही का आरोप लगाते हुए FIR दर्ज की गई है। इस घटना ने औद्योगिक सुरक्षा मानकों की अनदेखी और जिम्मेदारी तय करने में पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिए हैं।
हादसे का विवरण: एक युवा मजदूर की असमय मौत
लैलूंगा थाना क्षेत्र के ग्राम चंवरपुर निवासी उमेश चौहान, पिता उदल चौहान, अग्रोहा स्टील एण्ड पावर लिमिटेड में मजदूरी का काम करता था। वह कंपनी की लेबर कॉलोनी में रहकर हीट एक्सचेंजर में राख निकालने जैसे जोखिम भरे कार्यों में संलग्न था। 24 सितंबर को कार्य के दौरान हीट एक्सचेंजर में जमी भारी मात्रा में गर्म राख अचानक उमेश पर गिर गई। इस हादसे में वह बुरी तरह झुलस गया और मौके पर ही उसकी मृत्यु हो गई। इस घटना ने न केवल उमेश के परिवार को गहरा आघात पहुंचाया, बल्कि क्षेत्र में औद्योगिक इकाइयों में कार्यरत मजदूरों की जान को लगातार खतरे में डालने वाली परिस्थितियों को भी उजागर किया।
पुलिस जांच: प्रबंधन को राहत, सुपरवाइजर पर ठीकरा
हादसे की सूचना मिलने के बाद पुंजीपथरा पुलिस ने मामले की जांच शुरू की। जांच के बाद पुलिस ने जनरल सुपरवाइजर शीतल कुमार साव, पिता चैनसिंह साव, निवासी मिट्ठूमुड़ा, जूटमिल, रायगढ़, को लापरवाही का दोषी ठहराया। पुलिस का कहना है कि शीतल कुमार ने उमेश को बिना उचित सुरक्षा उपकरणों के जोखिम भरे कार्य में लगाया, जिसके परिणामस्वरूप यह हादसा हुआ। उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (बीएनएस) की धारा 106(1) और 289 के तहत अपराध दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
हैरानी की बात यह है कि इस पूरे मामले में फैक्ट्री प्रबंधन को किसी भी तरह की जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया गया। पुलिस ने प्रबंधन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या वास्तव में जांच निष्पक्ष और गहन थी, या फिर यह केवल छोटे कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाने की औपचारिकता थी।
औद्योगिक सुरक्षा की अनदेखी: एक चिंताजनक प्रवृत्ति
रायगढ़ जिला, जो छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र है, लंबे समय से औद्योगिक हादसों के लिए चर्चा में रहा है। अग्रोहा स्टील में हुआ यह हादसा कोई अपवाद नहीं है। जिले की कई फैक्ट्रियों में मजदूरों को बिना पर्याप्त सुरक्षा उपकरणों, प्रशिक्षण या उचित कार्य परिस्थितियों के जोखिम भरे कार्यों में लगाया जाता है। हीट एक्सचेंजर जैसे उच्च तापमान वाले उपकरणों के साथ काम करने के लिए विशेष सुरक्षा प्रोटोकॉल और उपकरणों की आवश्यकता होती है, जिनकी अनदेखी बार-बार जानलेवा साबित हो रही है।
औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विभाग की भूमिका भी इस मामले में सवालों के घेरे में है। विशेषज्ञों का कहना है कि विभाग द्वारा केवल जुर्माना लगाने की औपचारिक कार्रवाई की जाती है, जबकि सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जाते। इस तरह की लापरवाही के चलते मजदूरों की जान जोखिम में पड़ रही है, और हादसों की पुनरावृत्ति रुकने का नाम नहीं ले रही।
सामाजिक और प्रशासनिक सवाल
उमेश चौहान जैसे युवा मजदूरों की मौत न केवल उनके परिवारों के लिए त्रासदी है, बल्कि यह समाज और प्रशासन के लिए भी एक गंभीर चेतावनी है। सवाल यह है कि आखिर क्यों हर बार छोटे कर्मचारियों को जिम्मेदार ठहराकर मामले को रफा-दफा कर दिया जाता है? क्या फैक्ट्री प्रबंधन की जवाबदेही तय करने के लिए कोई ठोस नीति नहीं है? क्या औद्योगिक इकाइयों में सुरक्षा मानकों का ऑडिट नियमित रूप से नहीं किया जाता? ये सवाल न केवल अग्रोहा स्टील के इस हादसे, बल्कि पूरे रायगढ़ जिले की औद्योगिक इकाइयों के संदर्भ में प्रासंगिक हैं।
इस हादसे ने एक बार फिर औद्योगिक सुरक्षा को लेकर जागरूकता और सख्ती की आवश्यकता को रेखांकित किया है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि सरकार और औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विभाग को निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:
नियमित सुरक्षा ऑडिट: सभी औद्योगिक इकाइयों में सुरक्षा मानकों का नियमित ऑडिट अनिवार्य किया जाए।
कठोर दंड: सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों पर भारी जुर्माना और लाइसेंस रद्द करने की कार्रवाई हो।
मजदूरों का प्रशिक्षण: जोखिम भरे कार्यों के लिए मजदूरों को विशेष प्रशिक्षण और सुरक्षा उपकरण प्रदान किए जाएं।
निष्पक्ष जांच: हादसों की जांच में प्रबंधन की जवाबदेही को भी शामिल किया जाए, न कि केवल छोटे कर्मचारियों को निशाना बनाया जाए।
उमेश चौहान की असमय मृत्यु न केवल एक परिवार का नुकसान है, बल्कि यह औद्योगिक सुरक्षा और प्रशासनिक जवाबदेही की विफलता का प्रतीक है। अग्रोहा स्टील में हुई इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि जब तक सुरक्षा मानकों को लागू करने में सख्ती और पारदर्शिता नहीं लाई जाएगी, तब तक मजदूरों की जान जोखिम में बनी रहेगी। इस मामले में पुलिस की त्वरित कार्रवाई और सुपरवाइजर के खिलाफ FIR दर्ज करना एक शुरुआत हो सकती है, लेकिन असली बदलाव तभी आएगा जब प्रबंधन स्तर पर जवाबदेही तय की जाएगी और सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी।