छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता पर हुआ खतरनाक हमला!

वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ला को पुलिस ने मारपीट का शिकार बनाया, पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर उठाया सवाल
अमरदीप चौहान/अमरखबर:छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता पर हमला हुआ है। वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ला को पुलिस ने मारपीट का शिकार बनाया। यह घटना दीपावली की रात में हुई और पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर सवाल उठा दिया है। यह घटना ने पूरे देश में पत्रकारों में भय और असुरक्षा की भावना पैदा कर दी है। यह घटना ने पत्रकारिता के मूल्यों और सिद्धांतों को भी चुनौती दी है। यह घटना ने पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा के लिए भी एक चुनौती पैदा की है।
विस्तार..
कमल शुक्ला ने अवैध गतिविधियों की शिकायत की थी, लेकिन पुलिस ने उन्हें दुर्व्यवहार और मारपीट का सामना करना पड़ा। यह घटना छत्तीसगढ़ सरकार के पत्रकार सुरक्षा कानून के वादे की उल्लंघन है। यह घटना पुलिस की मानसिकता और कार्यशैली पर सवाल उठाती है। यह घटना यह भी दर्शाती है कि पुलिस कैसे अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर सकती है। यह घटना न्याय व्यवस्था पर भी सवाल उठाती है। जिस तरह पत्रकार जगत में वरिष्ठ पत्रकार के ऊपर थाने में बैठे अधिकारी के द्वारा हाथ उठाने पर न्याय व्यवस्था के साथ पत्रकार सुरक्षा पर भी सवाल उठा दी है जिससे प्रदेश भर के पत्रकार सरकार और प्रशासन के ऊपर आक्रोध व्यक्त कर रही है। कि आज छत्तीसगढ़ का पत्रकार सुरक्षित नहीं है।
_प्रतिक्रिया:_
कांकेर जिले में हुई इस घटना ने पूरे पुलिस प्रशासन को हिला दिया है। पत्रकारिता की स्वतंत्रता के लिए यह एक बड़ा खतरा है। सरकार और पुलिस प्रशासन को पत्रकारों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। पत्रकारों को अपना काम करने के लिए सुरक्षित माहौल चाहिए। यह घटना पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा के लिए भी एक चुनौती है। यह घटना ने समाज में भी आक्रोश पैदा किया है। यदि देश के चौथा स्तंभ पत्रकारिता जगत कमजोर हो जाए भ्रष्टाचार को बढ़ाने से कोई नहीं रोक सकता एक पत्रकार ही है भ्रष्टाचार को अपनी कमल से लिखकर शासन प्रशासन तक पहुंच आती है पर आज वही पत्रकार के ऊपर थाने में बैठे कुछ अधिकारी के द्वारा पत्रकारिता जगत को तमाचा मारने से पीछे नहीं जाता है जो नंदिनीय है
_मांग:_
सरकार और पुलिस प्रशासन को इस घटना की निष्पक्ष जांच करनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। पत्रकारों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। पत्रकारिता की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए सभी संबंधित पक्षों को एकजुट होना चाहिए। पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी प्रावधान किए जाने चाहिए।
पुलिस प्रशासन को किसने दिया मारपीट करने का अधिकार
वरिष्ठ पत्रकार श्री कमल शुक्ला के द्वारा थाने में जाकर रिपोर्ट दर्ज करने गए थे वहीं थाने में बैठे रसुखदार अधिकारी के द्वारा बहसबाजी करते हुए वरिष्ठ पत्रकार के ऊपर कानून का रौप दिखाकर मारपीट चालू कर गया जिससे वरिष्ठ पत्रकार के मान सम्मान को आहत हुई है जो घोर नंदिनीय है।
बहरहाल छत्तीसगढ़ के पत्रकार अब भी सिर्फ सुरक्षा कानून को लेकर सरकार की ओर देख रहे हैं!!