जातिगत जनगणना 2025: आज़ाद भारत के इतिहास में पहली बार होंगी जातीय जनगणना!!

सम्पादक अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम नई दिल्ली । आज़ाद भारत के इतिहास में पहली बार, केंद्र सरकार ने आगामी जनगणना 2025 में सभी जातियों की गणना करने का ऐलान किया है। यह निर्णय सामाजिक न्याय और कल्याणकारी योजनाओं की पारदर्शिता की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में इस बात की पुष्टि की कि जनगणना में न केवल अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST), बल्कि अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और अन्य जातियों के आंकड़े भी दर्ज किए जाएंगे।
जनगणना 2025 क्यों है खास?
पिछली बार 1931 में ब्रिटिश शासन में हुआ था पूर्ण जातिगत सर्वेक्षण।
2011 में हुई SECC रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई।
अब पहली बार लोकतांत्रिक भारत में होगी सभी जातियों की गणना।
सभी धर्मों और समुदायों की जातियां दर्ज होंगी
भारत सरकार ने आगामी जनगणना 2025 में सभी जातियों और धर्मों के आंकड़े दर्ज करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। यह फैसला देश के सामाजिक ढांचे को समझने और वास्तविक सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक निर्णायक कदम माना जा रहा है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पुष्टि की है कि जनगणना में न केवल हिंदू समाज की जातियां, बल्कि मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध और अन्य धर्मों में मौजूद सामाजिक वर्गों और समुदायों की भी गणना की जाएगी।
सरकार की मंशा क्या है?
सरकार का कहना है कि जातिगत आंकड़े मिलने से नीति निर्माण में मदद मिलेगी और कल्याण योजनाओं को लक्षित वर्गों तक बेहतर तरीके से पहुंचाया जा सकेगा।
> “यह सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है, यह सामाजिक संतुलन की बात है,” — अश्विनी वैष्णव, केंद्रीय मंत्री
राजनीतिक और सामाजिक हलचल
जातिगत जनगणना को लेकर राजनीतिक दलों में भी हलचल तेज हो गई है। कई क्षेत्रीय पार्टियों ने इस फैसले का स्वागत किया है, वहीं कुछ विशेषज्ञों ने सामाजिक विभाजन की आशंका भी जताई है।