Latest News

मुड़ागांव जाते समय पुलिस गाड़ी की टक्कर से बिजली खंभा टूटा, गारे गांव में ग्रामीणों का गुस्सा फूटा, चक्काजाम कर जताया विरोध

सम्पादक जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़ जिले के तमनार विकासखंड के मुड़ागांव में जंगल कटाई के विरोध में चल रहे तनाव के बीच एक नया विवाद सामने आया है। शुक्रवार, 27 जून 2025 को मुड़ागांव की ओर पेड़ कटवा कर आ रही पुलिस की गाड़ी ने रास्ते में गारे गांव के पास एक बिजली खंभे को टक्कर मार दी, जिससे खंभा टूट गया और गांव में बिजली आपूर्ति ठप हो गई। इस घटना से आक्रोशित गारे गांव के ग्रामीण सड़क पर उतर आए और चक्काजाम कर प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। ग्रामीणों ने इस हादसे को पुलिस और प्रशासन की लापरवाही का नमूना बताते हुए, पहले से ही जंगल कटाई के मुद्दे पर उबल रहे गुस्से को और हवा दी।



**क्या हुआ हादसा?**

जानकारी के अनुसार, मुड़ागांव में गुरुवार को कांग्रेस नेताओं और ग्रामीणों द्वारा महाजेनको कोयला खदान के लिए अवैध जंगल कटाई के विरोध में प्रदर्शन किया गया था। इस प्रदर्शन के बाद स्थिति को नियंत्रित करने के बाद शुक्रवार को पुलिस बल मुड़ागांव की ओर से वापस आता रहा इसी दौरान गारे गांव के पास पुलिस की गाड़ी अनियंत्रित होकर सड़क किनारे एक बिजली खंभे से जा टकराई। टक्कर इतनी जोरदार थी कि खंभा टूटकर जमीन पर गिर गया, जिससे पूरे गांव की बिजली आपूर्ति बाधित हो गई।



ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस गाड़ी के चालक ने लापरवाही से गाड़ी चलाई, जिसके कारण यह हादसा हुआ। ग्रामीणों ने गुस्से में कहा, “पहले हमारे जंगल काटे जा रहे हैं, अब हमारी बिजली भी छीन ली गई। क्या प्रशासन और पुलिस को ग्रामीणों की कोई परवाह नहीं है?”



**चक्काजाम और ग्रामीणों का आक्रोश**

हादसे की खबर फैलते ही गारे गांव के सैकड़ों ग्रामीण सड़क पर जमा हो गए। महिलाओं, बुजुर्गों और युवाओं ने मिलकर तमनार-रायगढ़ मुख्य मार्ग पर चक्काजाम कर दिया। ग्रामीणों ने सड़क पर लकड़ी, पत्थर और टायर रखकर यातायात पूरी तरह रोक दिया। प्रदर्शनकारियों ने “प्रशासन मुर्दाबाद” और “जंगल बचाओ, बिजली लाओ” जैसे नारे लगाए।



ग्रामीणों का कहना था कि बिजली खंभा टूटने से पहले ही गांव में बिजली की समस्या थी, और अब यह हादसा उनकी मुश्किलों को और बढ़ा देगा। एक महिला प्रदर्शनकारी, शांति बाई ने कहा, “हमारे बच्चे रात में अंधेरे में पढ़ रहे हैं। गर्मी में बिना पंखे के रहना मुश्किल है। पुलिस की गाड़ी ने खंभा तोड़ा, लेकिन क्या प्रशासन हमारी परेशानी सुनेगा?”



**जंगल कटाई का मुद्दा और बढ़ा तनाव**

यह घटना ऐसे समय में हुई है, जब मुड़ागांव में महाजेनको कोयला खदान के लिए बिना ग्राम सभा की अनुमति के जंगल कटाई का मुद्दा पहले से ही गरमाया हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन और पुलिस कॉरपोरेट्स के हित में काम कर रही है, जबकि उनकी जमीन, जंगल और अब बिजली तक छीनी जा रही है। गारे गांव के सरपंच ने कहा, “पहले जंगल काटे गए, अब बिजली खंभा तोड़ा गया। यह सब प्रशासन की मिलीभगत से हो रहा है। हम चुप नहीं रहेंगे।”



**प्रशासन की प्रतिक्रिया और मांगें**

चक्काजाम की सूचना मिलते ही तमनार पुलिस और बिजली विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे। ग्रामीणों ने अधिकारियों से तत्काल बिजली आपूर्ति बहाल करने और टूटे खंभे की मरम्मत की मांग की। साथ ही, उन्होंने पुलिस गाड़ी के चालक के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी उठाई। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, वे सड़क से नहीं हटेंगे।

स्थानीय बिजली विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि खंभा बदलने और बिजली आपूर्ति बहाल करने का काम शुरू कर दिया गया है, लेकिन ग्रामीणों का गुस्सा शांत नहीं हुआ। कुछ ग्रामीणों ने यह भी मांग की कि पुलिस हादसे की जिम्मेदारी ले और प्रभावित परिवारों को मुआवजा दे।



**”यह सिर्फ खंभा नहीं, हमारी आजीविका का सवाल है”**

गारे गांव के ग्रामीणों ने मुड़ागांव के जंगल कटाई के मुद्दे से अपनी लड़ाई को जोड़ते हुए कहा कि यह सिर्फ एक खंभे का मामला नहीं है, बल्कि यह उनकी आजीविका, पर्यावरण और अधिकारों की लड़ाई है। एक युवा प्रदर्शनकारी, रमेश यादव ने कहा, “जंगल कट रहे हैं, बिजली चली गई, और अब पुलिस की लापरवाही से हमारी मुश्किलें बढ़ रही हैं। हम सरकार और प्रशासन को चेतावनी दे रहे हैं कि अब और नहीं सहेगा गांव।”

गारे गांव के चक्काजाम ने पूरे क्षेत्र में हलचल मचा दी है। यह घटना न केवल पुलिस और प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठा रही है, बल्कि मुड़ागांव में जंगल कटाई के खिलाफ चल रहे आंदोलन को और मजबूती दे रही है। ग्रामीणों ने ऐलान किया है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे और बड़े स्तर पर प्रदर्शन करेंगे। दूसरी ओर, प्रशासन इस मामले को शांत करने की कोशिश में जुटा है, लेकिन ग्रामीणों का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा।

यह घटना एक बार फिर यह सवाल खड़ा करती है कि क्या सरकार और प्रशासन ग्रामीणों के हक और पर्यावरण की रक्षा के लिए गंभीर हैं, या यह सिर्फ कॉरपोरेट्स के हित में काम करने की एक और मिसाल है? गारे गांव और मुड़ागांव के ग्रामीण अब एकजुट होकर अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं, और यह आंदोलन अब सड़क से लेकर विधानसभा तक पहुंचने की राह पर है।

Amar Chouhan

AmarKhabar.com एक हिन्दी न्यूज़ पोर्टल है, इस पोर्टल पर राजनैतिक, मनोरंजन, खेल-कूद, देश विदेश, एवं लोकल खबरों को प्रकाशित किया जाता है। छत्तीसगढ़ सहित आस पास की खबरों को पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़ पोर्टल पर प्रतिदिन विजिट करें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button