अधिसूचित क्षेत्रों में बेनामी अंतरण के कई मामले, मुआवजा देने से बचने के लिए उद्योगों ने कब्जाई जमीन
रायगढ़। एक वक्त था, जब रायगढ़ जिले में 170 ख के तहत आदिवासी जमीनों के बेनामी अंतरण के मामलों में नजर रखी जाती थी। एसडीएम न्यायालयों में लंबित मामलों और इसके निराकरण के लिए समीक्षा होती थी। ढाई सौ से ज्यादा प्रकरण दर्ज थे। किसानों को जमीन पर पजेशन मिली या नहीं किसी को कुछ नहीं मालूम।
महज दस साल पहले तक रायगढ़ के सभी अनुविभागों में आदिवासी जमीनों के बेनामी अंतरण के प्रकरण दर्ज थे। रायगढ़, खरसिया, घरघोड़ा और धरमजयगढ़ मिलाकर 261 प्रकरण पंजीबद्ध थे। 232 हेक्टेयर आदिवासी जमीन को धोखे से दूसरे आदिवासी के नाम रजिस्ट्री करवा ली गई लेकिन भूमि पर कब्जा क्रेता का नहीं, किसी उद्योग का था। रायगढ़ अनुविभाग में 63 प्रकरण ऐसे थे जिनमें कोरबा वेस्ट पावर प्लांट का कब्जा पाया गया था।
इसी तरह खरसिया में 20 प्रकरण थे जिसमें कुनकुनी और राजन कोल वॉशरी का कब्जा मिला था। घरघोड़ा में 148 प्रकरण थे जिसमें आदिवासी जमीनों पर सारडा एनर्जी, नवदुर्गा फ्यूल्स, जिंदल स्टील और जेपीएल का कब्जा मिला था। इन सब मामलों में एक दूसरे आदिवासी को खड़ा कर उसके नाम पर रजिस्ट्री करवा ली गई थी। जबकि उस आदिवासी की हैसियत इतनी जमीन खरीदने की थी ही नहीं। इन सब प्रकरणों में अगर आदिवासी के हक में फैसला हो भी गया तो पजेशन नहीं मिला।