स्मार्ट बिजली मीटर का विरोध सुप्रीम कोर्ट फैसले का स्वागत
स्मार्ट बिजली मीटर का विरोध सुप्रीम कोर्ट फैसले का स्वागत
रायपुर। संयुक्त किसान मोर्चा ने छत्तीसगढ़ में जल, जंगल, जमीन, खनिज और प्राकृतिक संसाधनों की लूट और जनवादी आंदोलनों और मानवाधिकारों के दमन के खिलाफ पूरे प्रदेश में “अडानी – छत्तीसगढ़ छोड़ो” अभियान चलाने का फैसला किया है। इसके प्रथम चरण में अगले माह एक राज्य स्तरीय कन्वेंशन का आयोजन किया जाएगा और मोदी की केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारों की कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों के खिलाफ एक वैकल्पिक जन पक्षधर नीतियों के आधार पर आम जनता के सभी तबकों को लामबंद करने की रणनीति तैयार की जाएगी। इस कन्वेंशन में संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय नेता भी शिरकत करेंगे।
संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े विभिन्न जन संगठनों की एक बैठक में यह फैसला किया गया। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि भाजपा राज्य सरकार की कॉरपोरेटपरस्त नीतियों के कारण प्रदेश का बिजली, कोयला, इस्पात, सीमेंट सहित तमाम औद्योगिक क्षेत्र और खनिज परिवहन अडानी के हवाले होने जा रहा है। इस कॉर्पोरेट लूट का विरोध करने वाली जनवादी ताकतों का जिस तरह दमन किया जा रहा है, बस्तर उसका प्रत्यक्ष उदाहरण है, जहां आदिवासियों के मानवाधिकार भी सुरक्षित नहीं है और आंदोलन के कार्यकर्ताओं पर यूएपीए जैसे दमनात्मक कानूनों के तहत कार्यवाही की जा रही है और उन्हें नक्सली घोषित किया जा रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा ने भाजपा सरकार के इस जन विरोधी रवैए की तीखी निंदा की है। एसकेएम ने हसदेव के जंगलों को अडानी को सौंपने और आदिवासियों को बड़े पैमाने पर विस्थापित करने की मुहिम का भी कड़ा विरोध किया है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने बलौदाबाजार की आगजनी की घटना को “भाजपा प्रायोजित” करार दिया है और गिरफ्तार निर्दोष लोगों को रिहा करने की मांग की है। आरंग में महानदी पुल पर मवेशी परिवहन कर्मचारियों की हत्या को “आत्महत्या” में बदलकर इसके लिए जिम्मेदार भाजपाई संगठनों से जुड़े असामाजिक तत्वों को बचाने की सरकार के फैसले की भी किसान मोर्चा ने कड़ी निंदा की है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने पूरे प्रदेश में स्मार्ट बिजली मीटर लगाने और प्री पैड बिजली प्रणाली लागू करने की भाजपाई मुहिम का कड़ा विरोध किया है और पूछा है कि वर्तमान बिजली मीटरों में जब कोई खराबी नहीं है, तो हजारों करोड़ रुपए खर्च करके इन्हें बदलने का क्या औचित्य है? इस धनराशि को कॉरपोरेट कंपनियों पर लुटाने के बजाय आम जनता की बुनियादी समस्याओं के समाधान पर क्यों खर्च नहीं किया जा रहा है?
संयुक्त किसान मोर्चा ने उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड की भाजपा सरकारों द्वारा अपने राज्य में दुकान मालिकों और कर्मचारियों के नाम दर्शित करने वाले बोर्ड लगाने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट द्वारा निरस्त किए जाने का स्वागत किया है। मोर्चा ने कहा है कि पूरे देश में भाजपा धर्म और जाति के आधार पर समाज को बांटने का खेल खेल रही है और सांप्रदायिकता और नफरत की राजनीति कर रही है, जो हमारे देश के धर्मनिरपेक्ष संविधान, सामाजिक न्याय और समानता की भावना का घोर उल्लंघन है। भाजपा देश की विविधता को खत्म करने की मुहिम चला रही है और इसलिए देश विरोधी है।
जनकलाल ठाकुर की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में आलोक शुक्ला, सौरा यादव, प्रवीण श्योकंद, नरोत्तम शर्मा, संजय पराते, फागू राम, जीतू राम, प्रेमलाल साहू, भूषण चुनारकर, संतू बड़ई, नवाब जिलानी आदि उपस्थित थे।