सीएम सीजी की घोषणा के बाद तमनार नगर पंचायत का रास्ता साफ
4 अक्टूबर 2023 को हो चुका है अधिसूचना प्रकाशन, तमनार के साथ केवल बासनपाली को किया गया है शामिल
रायगढ़। डीएमएफ हो, सीएसआर हो या खनिज रॉयल्टी, जिले में सबसे ज्यादा योगदान तमनार तहसील ही देता है। सरकारी खजाने को रायगढ़ जिले के तमनार तहसील से सबसे ज्यादा खनिज राजस्व मिल रहा है। इसके बावजूद उपेक्षित रहे तमनार पर अब जाकर सरकार ने नजरें इनायत की हैं। अब तो अधिसूचना प्रकाशन हुए एक साल होने को है।
रोजगार से लेकर सडक़, पानी, बिजली आदि भी सुविधाओं के लिए हमेशा से संघर्षरत तमनारवासियों को शायद अब कुछ लाभ हो जाए। जिंदल पावर लिमिटेड जैसी बड़ी कंपनी का स्थापित होना तमनार बस्ती के लिए अभिशाप बन गया है। पूरे तमनार क्षेत्र की हालत खराब हो चुकी है। करीब 14 साल पहले तमनार को विशेष क्षेत्र का दर्जा दिया गया था। 8 सितंबर 2011 को राजपत्र में अधिसूचना प्रकाशित कर तमनार विशेष क्षेत्र की सीमाएं निर्धारित की गई थी। इसमें आसपास के 164 गांवों को शामिल किया गया था। इस पूरे क्षेत्र को विशेष क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाना था। इस पर आपत्ति आई तो क्षेत्रफल कम करने का सुझाव दिया गया।
शासन को गांवों की संख्या कम कर संशोधित अधिसूचना प्रकाशित करनी थी। इसके बाद तमनार को नगर पंचायत बनाने के लिए राज्य शासन ने 4 अक्टूबर 2023 को छग नगर पालिका अधिनियम 1961 के तहत अधिसूचना प्रकाशित की थी। तब से फाइल अटकी पड़ी है। आगे की प्रक्रिया के लिए कलेक्टर रायगढ़ को आदेश भी भेजा गया था। वर्ष 2011 की जनगणना को आधार बनाते हुए तमनार और बासनपाली को शामिल किया गया है। तमनार की जनसंख्या 2011 में 5465 थी और बासनपाली की आबादी 1408 थी। 2024 में दोनों की आबादी 10 हजार से अधिक है। तमनार और बासनपाली की सीमाएं ही नगर पंचायत क्षेत्र की सीमाएं मानी जाएंगी।
अकेला तहसील जहां नगरीय निकाय नहीं
रायगढ़ जिले में खरसिया, पुसौर, लैलूंगा, घरघोड़ा, रायगढ़, धरमजयगढ़ और तमनार कुल सात तहसील हैं। सात में से केवल तमनार ही ऐसा है जहां नगरीय निकाय नहीं है। बाकी छह में रायगढ़ नगर निगम, खरसिया नपा और बाकी चारों नगर पंचायत हैं। इसी उपेक्षा के कारण तमनार कभी आगे नहीं बढ़ सका। यहां के लोगों का शोषण ही होता रहा है। यहां सबसे बड़ी समस्या सडक़ और प्रदूषण की है।