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सड़क पर जेपीएल अडानी अम्बुजा का कब्जा आम जनता को चलने में परेशानी

दिन भर आधी सड़क पर खड़े रहते हैं कोयला लोड गाड़ियां, कुंजेमुरा के बाद सड़क पर चलना मुश्किल, ट्रेलरों के बीच से सायकल लेकर गुजरते हैं स्कूली बच्चे

रायगढ़। कोयला खदानों और प्लांटों से घिरे तमनार का ऐसा हाल होगा कभी किसी ने सोचा नहीं था। गांवों की हालत तो खराब है ही, तमनार बस्ती की तो सबसे ज्यादा खराब स्थिति है। कहीं कोई नेता आवाज नहीं उठाता न ही किसी अधिकारी को चिंता है। तमनार की मेन रोड तो जैसे जिंदल पावर प्लांट के पास गिरवी रख दी गई है। आधी सड़क पर ट्रेलरों और हाइवा का कब्जा है। साल दर साल बढ़ रहे कोयला खदानों के कारण रोड से परिवहन करने वाले वाहनों की संख्या भी बढ़ रही है। उसी अनुपात में तमनार की जनसंख्या भी बदल रही है। आदिवासी बहुल गांवों में अब इन उद्योगों में काम करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।
उद्योगों का चलना जरूरी है लेकिन सालों से वहां रह रही आबादी को उस लायक वातावरण उपलब्ध कराना भी जरूरी है। तमनार तहसील के गांवों की स्थिति खराब होती जा रही है। उद्योगों के कारण सबसे खराब हालत तमनार बस्ती की हुई है। कुंजेमुरा के बाद से तमनार क्रॉस होते तक रोड बची ही नहीं है। हजारों की आबादी वाला तमनार एक चलने लायक मुख्य सड़क को तरस रहा है। मेन रोड को पुलिस और प्रशासन ने जिंदल पावर के पास गिरवी रख दिया है। चौबीसों घंटे आधी रोड पर ट्रेलर और हाइवा खड़े रहते हैं। जेपीएल के गेट से अंदर जाने वाले ट्रकों के लिए रोड को ही पार्किंग बना दिया गया है। प्रतिदिन 50 हजार टन से भी ज्यादा कोयले की खपत इस प्लांट में होती है।

इनकी वजह से दूसरे वाहनं बड़ी मुश्किल से गुजर पाते हैं। रोड़ की हालत ऐसी है कि बरसात में सड़क के मुरुम, मिट्टी वाले शोल्डर तक कीचड़ हो जाता है। रोड पर कोल डस्ट की मोटी परत बिछी हुई है। अगर दो ट्रेलर खड़े हो जाएं तो फिर रोड से निकलना मुश्किल है। एकसाथ सैकड़ों ट्रेलर खड़े रहते हैं। स्कूली बच्चों को अपनी जान जोखिम में डालकर पढ़ने जाना पड़ता है। बच्चे सायकल में ट्रेलरों के बीच से जैसे-तैसे निकल पाते हैं। स्कूल की छुट्टी होने के बाद खतरनाक स्थिति होती है। उड़ती कोल डस्ट के बीच बहुत कठिनाई से बच्चे निकल पाते हैं। कभी भी कोई हादसा हो सकता है।

सबसे ज्यादा रेवेन्यू देने वाला ब्लॉक बर्बाद
डीएमएफ, सीएसआर और जीएसटी मिलाकर सबसे ज्यादा रेवेन्यू रायगढ़ जिले में तमनार और घरघोड़ा देते हैं। खनिजों से सबसे ज्यादा राजस्व यहीं से मिलता है। इसके लिए तमनार वासियों ने अपनी पुश्तैनी जमीनें दी हैं। बदले में उनको बर्बादी ही मिली है। यहां की सड़कें सबसे अच्छी होनी चाहिए थी।

रोड पर क्यों लगती है गाड़ियों की कतार
ट्रैफिक सुधारने के लिए हेलमेट चेकिंग करने वाली पुलिस को तमनार जाकर हालात सुधारने चाहिए। यह काम अकेले तमनार पुलिस के बस का नहीं है। एकसाथ 200 से ज्यादा गाड़ियां पीडब्ल्यूडी की रोड पर ऐसे खड़ी होती हैं जैसे इसे भी खरीद लिया गया हो। रायगढ़ में रिंगरोड जरूरी है लेकिन तमनार में भी चौड़ी सड़क की जरूरत है।

तमनार से पूंजीपथरा तक सिर्फ दो भारी वाहन क्रॉस होने की जगह

वर्तमान में बने कांक्रिट (सीसी) रोड को देखकर लगता है की यह सड़क अब सिर्फ भारी वाहनों के आवागमन के लिए बनाई गई है, एक तरफ से भारी वाहन आती है तो दूसरी तरफ से जाती है यहां आम आदमी के लिए बाइक तो क्या पैदल चलने के लिए जगह भी नहीं बचती है वहीं मिट्टी मुरुम के बने शोल्डर भी बारिस के दिनों में किचड़ युक्त होते हैं जिनमें गलती से गाड़ी उतर जाने पर फंस जाती है। सड़क की चौड़ाई इतनी कम है की सिर्फ दो भारी वाहन ही एक दूसरे को क्रॉस करती है तो सड़क पर पैदल,साइकिल पार करने की जगह नहीं मिलती।

Amar Chouhan

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