आरटीआई के तहत जानकारी न देने पर दर्ज कराई जा सकती है रिपोर्ट
रामपुर। बिलासपुर की सामाजिक संस्था सूचना का अधिकार जागृति मंच की एक बैठक मंच के अध्यक्ष वरिष्ठ आरटीआई कार्यकर्ता जयदीप गुप्ता की अध्यक्षता में हुई।
जिसमें अध्यक्ष ने सूचना का अधिकार अधिनियम में प्रदत अधिकारों के बारे में बताया कि यदि आवेदक द्वारा आरटीआई फाइल करने के बाद जनसूचना अधिकारी द्वारा आवेदक को जानकारी समय सीमा पर न प्रदत की जाए या कोई जानकारी प्रदत ही न की जाए या फिर आधी अधूरी व भ्रामक जानकारी प्रदत की जाए या ऐसी जानकारी दी जाए कि ऐसी जानकारी मांगी जानकारी से झूठी और गलत हो तो आवेदक द्वारा आरटीआई एक्ट के प्रयोजनार्थ भारतीय दंड संहिता और दंड प्रक्रिया संहिता के तहत भी कार्रवाई की मांग की जा सकती हैं। जानकारी न देने और गलत भ्रामक जानकारी देने में आरटीआई कानून का उल्लंघन करने के लिए लोक सूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवाई जा सकती हैं।
उन्होंने बताया कि लोक सूचना अधिकारी द्वारा कोई जवाब नहीं देना आरटीआई एक्ट धारा 7(2) का उल्लंघन है। लोक सूचना अधिकारी द्वारा आरटीआई एक्ट की धारा 7(8) का उल्लंघन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 166 ए और 167 के तहत एफआईआर कराई जा सकती है। इसके इलावा यदि लोक सूचना अधिकारी द्वारा झूठी जानकारी देने पर, प्रमाण आवेदक के पास मौजूद है, तो उस स्थिति में भारतीय दंड संहिता की धारा 166 ए, 167, 420, 468 और 471 के तहत एसपीआईओ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई जा सकती है। प्रथम अपीलीय अधिकारी यानी द्वारा निर्णय नहीं किये जाने की स्थिति में भारतीय दंड संहिता की धारा 166 ए, 188 के तहत एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है। प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा निर्णय करने के बाद भी सूचनाएं नहीं देने की स्थिति में भारतीय दंड संहिता की धारा 188 और 420 के तहत एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है। लोक सूचना अधिकारी अथवा प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा आवेदक को धमकाने की स्थिति में आईपीसी की धारा 506 के तहत एफआईआर दर्ज करने का प्रावधान है।लोक सूचना अधिकारी द्वारा शुल्क लेकर भी सूचना नहीं देने की स्थिति में आईपीसी की धारा 406 और 420 के तहत एफआईआर दर्ज किये जाने का प्रावधान लागू होता है। उन्होंने बताया कि बेशक राज्य सूचना आयोग के पास आरटीआई एक्ट के तहत मात्र आर्थिक दण्ड लगाने और वारंट जारी करने का प्रावधान है और सजा का प्रावधान न होने के चलते राज्य सूचना आयोग की करवाई से संतुष्ट न हो कर आरटीआई के तहत सूचना मांगने वाले अपने आप को ठगा सा महसूस करने लगते है ओर उन्हें लगता है कि यह एक्ट बेशक एक अचूक हथियार है लेकिन यह दंतविहीन हथियार है । जबकि यह एक सशक्त हथियार है लेकिन जागरूकता के अभाव में इस एक्ट का सदुपयोग नही हो रहा । गुप्ता ने बताया कि उनकी संस्था द्वारा समय समय पर आरटीआई एक्ट को ले कर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा तथा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक ज्ञापन भेजकर मांग की जाएगी की कि सरकार द्वारा भी उक्त एक्ट की जागरूकता के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाए ।